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    It Is To Be Nobody But Myself In A World Which Is Trying To Make Me Like       Everybody Else...!!** All my life I had been looking for something, and everywhere I turned someone tried to tell me what it was. I accepted their answers too, though they were often in contradiction and even self-contradictory. I was naïve. I was looking for myself and asking everyone except myself questions which I, and only I, could answer. It took me a long time and much painful boomeranging of my expectations to achieve a realization everyone else appears to have been born with: that I Am Nobody But Myself
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https://www.facebook.com/media/set/?set=a.190375687716777.49171.189797951107884&type=3 एक प्रश्न  ~  एक प्रश्न जो मुझमें करवटें बदलता है , दिलों में ना जाने कितनी ख्वाहिशों का दिया जलता है, जाने कौन सा अरमाँ मोम की तरह पिघलता है , कौन जाने क्या है किसी के मन में , ज़िन्दगी के थपेड़ों से कौन गिरता कौन सम्भालता है।  हँसते हुए चेहरे के पीछे , कितना है ग़म ? चमकती आँखें ,कितनी हैं नम , इस राज़ को आजकल कौन समझता है ? दुसरो के लिए जियो ,दुसरो के लिए मरो  ये सब पुरानी बातें हैं , आजकल आदमी ,आदमी को छलता है  अपने आप से पूछती हूँ कभी  क्या सच है तपते सूरज के बाद  शीतल चाँद निकलता है  सुख के बाद दुःख ,दुःख के बाद सुख  सृष्टि का चक्रव्यूह क्या यूँहीं चलता है ??? इस प्रश्न का उत्तर ना मै ढूंढ पायी , शायद इसीलिए ये आज भी मुझमे करवटें बदलता है. . . 
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एक ज़िन्दगी ऐसी भी.. एक ज़िन्दगी ऐसी भी.. सामना होता है जिससे राहों में खिलखिलाती ,मुस्कुराती खुद को सम्भाले हुए , नहीं है ये किसी की भी पनाहों में.. एक ज़िन्दगी ऐसी भी.. जाने कितने अरमाँ ,अनगिनत सपने , आशायें संजोए बैठी है निगाहों में . . सूरज से है जिसकी रौशनी और शीतलता है बस तारों की छाओं में दिल में है उम्मीद  का दीया जलता हुआ  हिम्मत है इसकी बाहों में  एक ज़िन्दगी ऐसी भी.. कई बार रूबरू  हुई है हमसे सूनी राहों में.. .